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आखिर बिजनेस ऑडिट करवाने से क्या नुकसान हो सकते हैं?

कोई भी बिजनेस सही तरीके से काम कर रहा है या नहीं, वो सरकार के नियमों का पालन करता है ये नहीं ये सब पता करने के लिए हर साल एक ऑडिट रिपोर्ट तैयार करके सरकार को सबमिट करवानी होती है। ये रिपोर्ट के सरकार से मान्यता प्राप्त एक ऑडिटर के जरिए ही तैयार की जाती है। 

ऑडिट रिपोर्ट तैयार करने के कई फायदे भी होते है जैसे आपको आपके बिजनेस में छुपी सारी कमियां समझ में आ जाती है जिससे आप उन्हें सुधार कर पहले से बेहतर तरीके से काम कर सकते हैं। लेकिन ऑडिट रिपोर्ट बनवाने के कुछ नुकसान भी हो सकते हैं। क्या है वो नुकसान चलिए जानते हैं। 

ऑडिट रिपोर्ट बनाने में होता है भारी खर्च (Cost Factor)

अगर आप एक अनुभवी प्रोफेशनल से अपने बिजनेस का ऑडिट करवाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको अच्छा खासा खर्च भी करना पड़ता है। इस खर्च में ऑडिटर की प्रोफेशनल फीस, ट्रेवलिंग का खर्च और उसके रहने खाने का खर्च भी शामिल होता है। ये खर्च करना जरूरी होता है क्योंकि अगर हम इस खर्च में समझौता करते हैं तो इसका असर सीधे सीधे ऑडिट रिपोर्ट की क्वालिटी पर पड़ता है। 

टाइम फैक्टर (Time Factor)

कई बार ऐसा होता है कि आपके ऑडिटर को कम समय में ऑडिट रिपोर्ट बनाने का चैलेंज मिलता है और कम टाइम का असर भी ऑडिट रिपोर्ट की क्वालिटी पर पड़ता है। ऑडिट के लिए कम टाइम मिलने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे हो सकता है रिपोर्ट सबमिट करने के लिए बहुत कम टाइम बचा है। 

इसके अलावा एक कारण ये भी हो सकता है आपके ऑडिटर के पास बहुत सारे क्लाइंट्स का काम है इसीलिए वो आपको कम टाइम दे रहा है। कई बार कुछ कंपनीज के अकाउंट्स इतने ज्यादा बड़े होते हैं कि उन्हें कम टाइम में ऑडिट कर पाना मुमकिन नहीं होता है इसीलिए उस ऑडिट की क्वालिटी पर भी फर्क पड़ता है। 

बिजनेस अकाउंट्स की अधूरी जानकारी (Inconclusive Evidence)

बिजनेस का ऑडिट करने के लिए ऑडिटर को आपके बिजनेस के अकाउंट्स की सही और पूरी जानकारी चाहिए होती है। जैसे एक लाख से ऊपर के सभी ट्रांजैक्शंस की लिस्ट, महीने के अंत की सभी फाइनेंशियल एंट्रीज। ऑडिटर आपकी कंपनी के इस डेटा के कुछ सैंपल्स को देखकर ही ऑडिट करता है लेकिन अगर इन सैंपल्स में कोई गलती सामने नहीं आई तो बाकी के अकाउंट्स में हो रही गलती भी सामने आने से रह जाती है। इसीलिए टाइम पर ऑडिट शुरू करनी चाहिए ताकि पूरे के पूरे अकाउंट्स को अच्छे से ऑडिट किया जा सके। 

ऑडिटर को दें काम करने की स्वतंत्रता (Auditor’s Independence)

एक ऑडिटर जब आपके बिजनेस का ऑडिट कर रहा हो तब उसका इंडिपेंडेंट होकर बिना किसी दबाव के काम करना बहुत जरूरी होता है। एक अच्छी ऑडिट रिपोर्ट के लिए ये जरूरी है कि ऑडिटर आपके बिजनेस की सच्चाई को अपनी रिपोर्ट में दिखाए। 

कई बार कुछ कंपनीज ऑडिटर पर अपने हिसाब से ऑडिट रिपोर्ट बनाने का प्रेशर डालती हैं, उन्हें रिश्वत देने की कोशिश करती हैं, कई बार कंपनीज ऑडिटर की फीस रोक लेते हैं या फिर उन्हें ऑडिट रिपोर्ट बनाने में सपोर्ट नहीं करते हैं। 

लेकिन ऑडिटर को किसी भी तरह से उसका काम करने से रोकना पहली बात को कानून के खिलाफ और दूसरा अगर कोई कंपनी अपनी ऑडिट रिपोर्ट को इस तरह से बनवाती हैं तो उसका नुकसान बाद में उस कंपनी को ही झेलना पड़ता है। क्योंकि ऐसे में कंपनी को अपने यहां हो रही कमियों के बारे में पता नही चल पाता है।  

तो अब आप समझ गए होंगे कि ऑडिट रिपोर्ट क्यों जरूरी है, साथ उसको बनाने में आपको किस तरह की परेशानियां या फिर नुकसान देखने पड़ सकते हैं।

 

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