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“ऑपरेशनल ऑडिट” से जानिए क्या है आपके कंपनी के अंदरूनी हालात?

वैसे तो किसी भी बिजनेस की फाइनेंशियल कंडीशन पर नजर रखने के लिए सरकार ने हर साल ऑडिट करवाने का नियम बनाया है, लेकिन कंपनी के अंदर के हालात और फाइनेंशियल कंडीशन कैसी है ये जानने के लिए “ऑपरेशनल ऑडिट” करने की जरूरत होती है। अब इसे किस तरह किया जाता है और इससे क्या फायदे और नुकसान होते हैं चलिए जानते है। 

क्या है “ऑपरेशनल ऑडिट”?

आपके बिजनेस में जब कोई प्रोडक्ट या सर्विस बनायी जाती है तो वो ऑपरेशंस के अंतर्गत आती है, इसमें कच्चा माल खरीदने से लेकर कंपनी का फाइनल प्रोडक्ट बनने तक का पूरा प्रोसेस शामिल होता है। इस ऑपरेशनल प्रोसेस के बिना कंपनी का कोई भी काम कर पाना मुमकिन नहीं होता है, लेकिन ये प्रोसेस सही तरीके से हो भी रहा है या नहीं ये पता करने के लिए ही “ऑपरेशनल ऑडिट” को किया जाता है। 

ऑडिटर किस तरह करता है “ऑपरेशनल ऑडिट”?

ऑपरेशनल ऑडिट करते समय एक ऑडिटर सबसे पहले इस बात को चेक करता है वो ये है कि कंपनी शुरू करते समय जिस तरह से आपने अपना प्रोडक्ट डिजाइन किया था क्या वो प्रोडक्ट आज भी वैसे ही बन रहा है या नहीं। अगर प्रोडक्ट की क्वालिटी में कोई अंतर आया है तो उसकी वजह क्या रही है।

हर एक कंपनी के अंदर प्रोडक्ट्स को बनाने की एक कैपेसिटी होती है, लेकिन क्या आपकी कंपनी सारे संसाधनों का इस्तेमाल करके वो टारगेट हासिल कर पा रही है या नहीं,  इस बात का भी ऑपरेशनल ऑडिट में पता किया जाता है।

ऑडिटर इस बात का भी पता लगाता है कि प्रोडक्ट बनाने में आपके कितने संसाधन इस्तेमाल हो रहे और कितने बरबाद हो रहे हैं। इनका कारण क्या है इस बात भी पता लगा लिया जाता है।

बिजनेस का “ऑपरेशनल ऑडिट” क्यों करवाना चाहिए?

बिजनेस के हर पहलू को समझने के लिए ऑडिट करवाए जाते हैं, ऑपरेशनल ऑडिट को करवाने से कई सारे फायदे भी होते है जैसे

1. ऑपरेशनल ऑडिट के समय पर इस बात का पता किया जाता है कि कंपनी के इंटरनल कंट्रोल किस तरह से काम करते हैं, जो कि कंपनी के अंदर होने वाली धोखाधड़ी से आपको बचाते हैं। इस दौरान आपको ये भी समझ आ जाता है कि कंपनी के किस हिस्से में इंटरनल कंट्रोल को बढ़ाने की जरूरत है।

2. ऑपरेशनल ऑडिट कंपनी के हो रहे प्रोडक्शन के बारे में जानकारी देता है, जिसे इस्तेमाल करके कंपनी में आगे की प्लानिंग को ज्यादा अच्छे तरीके से कर सकते हैं। बिजनेस को आगे किस दिशा में बढ़ाया जा सकता है ये भी पता चल जाता है।

3. इस ऑडिट के दौरान कंपनी के एम्प्लॉयज की परफॉर्मेंस के बारे में भी पता चल जाता है, उनकी परफार्मेंस को देखकर ही साल के अंत में उनके प्रमोशन और बोनस के फैसलों को लिया जाता है। 

4. ऑपरेशनल ऑडिट आपको अपनी कंपनी के क्वालिटी स्टैंडर्ड बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है, जिससे बाद में आपके कस्टमर्स के लिए आप और भी बेहतर प्रोडक्ट बना सकते हैं। अब अगर कस्टमर को बेहतर सुविधा मिलेगी तो आपके बिजनेस की कमाई भी अपनेआप ही बेहतर हो जायेगी। 

तो अब आप समझ ही गए होंगे कि अपने बिजनेस का ऑपरेशनल ऑडिट करवाना कितना जरूरी है और इसे करवाकर आप अपनी कंपनी में कई सारे अच्छे बदलाव भी कर सकते हैं। 

 

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