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फ्रीमियम प्रोडक्ट सर्विस आपके बिजनेस के लिए फायदेमंद है हानिकारक ?

Illustration with word cloud on the Freemium system.

जब भी कोई नया प्रोडक्ट मार्केट में आता है तो उसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी होता है अपने कस्टमर बनाना। कस्टमर बनाने के लिए उस प्रोडक्ट और कंपनी को लोगों का विश्वास जीतना होता है जो कि सबसे मुश्किल काम होता है। इस शुरुआती दौर में “फ्रीमीयम” मॉडल उनके लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। तो जानते हैं क्या है ये फ्रीमियम मॉडल और किस तरह से काम करता है। 

क्या है फ्रीमियम मॉडल (Freemium Model)?

फ्रीमियम मॉडल को सैंपलिंग (Sampling) भी कहा जाता है, इसके अन्तर्गत सबसे पहले कंपनी अपने प्रोडक्ट को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने की कोशिश करती है। जिसके लिए वो लोगों को फ्री में या फिर बहुत ही कम दाम पर अपने प्रोडक्ट का सैंपल उपलब्ध करवाते हैं। ऐसा करने का मक्सद साफ होता है कि सबसे पहले फ्री में प्रोडक्ट देकर कस्टमर का विश्वास जीता जाए, इसके बाद जब कस्टमर को वो प्रोडक्ट पसंद आ जाता है तो फिर उसे प्रोडक्ट असल कीमत में बेचा जाता है। 

फ्रीमियम मॉडल को अपनाने के लिए सबसे जरूरी हैं कि आप अपने सही कस्टमर को पहचान कर उसे ही ये सैंपल उपलब्ध करवाए। अगर आप एक ऐसी जगह अपने सैंपल को फ्री में देंगे जो उसे इस्तेमाल ही नहीं करता तो आपके सैंपल का कोई फायदा नहीं होगा। आज के टाइम पर फ्रीमियम मॉडल को सबसे ज्यादा सॉफ्टवेयर और एप्लिकेशन सब्सक्रिप्शन में इस्तेमाल किया जा रहा है। पहले एक महीने फ्री सर्विस देकर यहां कस्टमर का विश्वास जीता जाता है और फिर उसे सर्विस के लिए पैसे देने होते हैं।

इसके अलावा भी प्रोडक्ट के फ्री सैंपल उपलब्ध करवाए जाते हैं, जैसे कि कई बार ब्यूटी प्रोडक्ट्स का या फिर घरेलू सामान का फ्री डेमो या फिर सैंपल लोगों को दिया जाता है ताकि वो पहले उसे ट्राई करके देख सकें। यहां भी इस बात का खास ध्यान रखना होता है कि आपका ये फ्री सैंपल सही व्यक्ति तक पहुंचे। 

फ्री में सामान देना कंपनी के लिए फायदेमंद या हानिकारक?

कस्टमर को फ्री में या फिर बहुत ही कम दाम में प्रोडक्ट सैंपल देना किसी भी कंपनी के लिए एक बहुत बड़ी इन्वेस्टमेंट होती है। अगर ये तरीका कामयाब ना हो तो कंपनी का बहुत बड़ा नुकसान भी हो सकता है, लेकिन अगर कामयाब हुआ तो कंपनी फ्री सैंपलिंग का सारा पैसा रिकवर भी कर लेती है। 

आपने अक्सर देखा होगा कि हमेशा ही किसी भी प्रोडक्ट का छोटा वर्जन बहुत ही कम दाम पर मिल जाता है। जैसे किसी भी शैंपू पर एक एमएल पाउच सिर्फ एक रुपए का होता है। इस हिसाब से सौ एमएल भी सौ रुपए का ही होना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं होता जब आप सौ एमएल वाली बोतल खरीदते हैं तो उसकी कीमत 350 तक होती है। 

यहां कंपनी ने पहले आपको सस्ते में अपना प्रोडक्ट ट्राई करवाया और जब आपको प्रोडक्ट पसंद आ गया आप उसका बड़ा वर्जन लेने को तैयार हो गए तब कंपनी ने आपसे अपनी फ्री सैंपल की कीमत भी वापस हासिल कर ली। 

फ्रीमियम मॉडल का सीधा सीधा लक्ष्य होता है नए कस्टमर को अपने प्रोडक्ट के प्रति आकर्षित करना और फिर उसे अपना नियमित कस्टमर बनाना। 

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