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बैंक को ऑडिट करवाने की जरूरत क्यों पड़ती है?

पिछले काफी समय में कई बैंक डूबने के किस्से सामने आए हैं जिसके साथ ही सवाल उठाए गए उनके बैंक ऑडिट पर। अब बैंक ऑडिट क्या है और एक बैंक को सही तरह से चलाने के लिए ऑडिट कितना जरूरी है, इसे किस तरह से किया जाता है चलिए समझते हैं। 

क्या होता है बैंक ऑडिट (Bank Audit)

बैंक ऑडिट में बैंक की सभी अकाउंट बुक्स की जांच पड़ताल की जाती है। जिसमें ये देखा जाता है कि बैंक ने सभी कानूनी नियम और कायदों का पालन किया गया है या नहीं। भारत में बैंक ऑडिट को करने के लिए एक चार्टर्ड अकाउंटेंट की जरूरत होती है। 

कितनी तरह के होते हैं बैंक ऑडिट?

बैंक ऑडिट करने के भी कई प्रकार होते हैं, 

स्टैट्यूटरी ऑडिट (Statutory Audit)- भारत में मौजूद हर एक बैंक को स्टैट्यूटरी ऑडिट करवाना ज़रूरी होता है, जिसमें 1 अप्रैल से लेकर 31 अगस्त तक का फाइनेंशियल ईयर होता है। 

रिस्क बेस्ड इंटरनल ऑडिट (Risk Based Internal Audit)- इस ऑडिट के अंतर्गत ऑडिटर बैंक के सभी इंटरनल कंट्रोल्स को चेक करता है और देखता है कि बैंक में कहां कहां पर फ्रॉड होने के चांसेज हैं और कहां पर ज्यादा रिस्क है। 

कॉनकरंट ऑडिट (Concurrent Audit)- ये एक लगातार होने वाला ऑडिट है इसमें बैंक के अंदर हर दिन होने वाले ट्रांजैक्शंस को चेक किया जाता है ताकि छोटी से छोटी गलती को तुरंत पकड़ा जा सके। 

स्टॉक ऑडिट (Stock Audit)- इस ऑडिट में इस बात को चेक किया जाता है कि बैंक से लोन लेने के बदले लोगों ने अपने जिस भी स्टॉक को बैंक के पास सिक्योरिटी के तौर पर रखा है वो स्टॉक सच में सही मात्रा में मौजूद है भी या नहीं।

बैंक ऑडिट को करने का उद्देश्य क्या होता है?

1. बैंक के पास काफी बड़ी मात्रा में कैश मौजूद होता है, ऑडिट के दौरान उस कैश को वेरिफाई किया जाता है। 

2. बैंक के द्वारा बनाए गए रिकॉर्ड्स को भी इस ऑडिट में चेक किया जाता है, साथ ही बैंक पब्लिक से जो कटे फटे नोट लेती है उसका हिसाब अलग से लिखा जाता है। 

3. ऑडिट के दौरान बैंक के सिक्योरिटी सिस्टम और सभी अलार्म्स को भी चेक किया जाता है। साथ ही बैंक की कैश काउंटिंग मशीन और यूवी लैंप्स पर भी नजर रखी जाती है।

4. इसके अलावा बैंक की उस अलमारी को भी चेक किया जाता है जहां बैंक के सभी पैसे और असेट्स को रखा जाता है, इस दौरान इस चीज को खास तौर पर देखा जाता है कि कहीं अलमारी में कोई ऐसा सामान तो नही है जो पेपर्स में दर्ज नहीं किया गया है। 

5. बैंक ऑडिट में ऑडिटर सभी लोन अकाउंट को खास तरह से चेक करता है, वो ये देखता है कि बैंक ने कस्टमर के डॉक्यूमेंट्स को सही ढंग से चेक किया गया हो और सभी नियमों का सही ढंग से पालन हुआ हो। 

कैसे जमा होती है बैंक ऑडिट की रिपोर्ट 

बैंक ऑडिट में सबसे ज्यादा जरूरी स्टैट्यूटरी ऑडिट ही होती है, पूरी ऑडिट को करने के बाद ऑडिटर रिपोर्ट में ये बताता है कि बैंक के अकाउंट सही तरीके से मेंटेन किए जा रहे हैं या नहीं। 

इसके अलावा ऑडिटर “लॉन्ग फॉर्म ऑडिट रिपोर्ट” (LFAR) और टैक्स ऑडिट रिपोर्ट को भी सबमिट करता है। जिसके साथ ही ऑडिटर कई सारे सर्टिफिकेट्स भी इश्यू करता है। 

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