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बिजनेस में कॉम्पीटीटर से आगे बढ़ने के 5 बेजोड़ तरीके ।

अगर आप कोई बिजनेस कर रहे हैं तो ये पता रखना आपकी जिम्मेदारी है कि आपका कॉम्पीटीटर मार्केट में क्या कर रहा है। अब चाहे आप एक बड़ी कंपनी के मालिक हो या फिर एक लोकल बिजनेस को चलाते हो कॉम्पिटिशन के बारे में ख़बर रखना और उससे बेहतर करना आपके लिए बहुत जरूरी होता है। अपने बिजनेस कॉम्पीटीटर से आगे निकलने के लिए आप “पोर्टर्स फाइव फोर्सेज मॉडल”(Porter’s Five Forces Model) को अपना सकते हैं, इस मॉडल को हावर्ड बिजनेस स्कूल के प्रोफेसर माइकल पोर्टर ने बनाया था। क्या है ये मॉडल और किस तरह से काम करता है चलिए समझते हैं।

1. कॉम्पेटिटिव राईवलरी (Competitive Rivalry)

पोर्टर्स मॉडल के पहले नियम कॉम्पेटिटिव राईवलरी के हिसाब से आप सबसे पहले ये पता करते हैं कि मार्केट में आपके कितने कॉम्पीटीटर मौजूद हैं, उनकी स्ट्रेंथ क्या है, उनके प्रोडक्ट और सर्विस में आपसे अच्छा क्या है और बुरा क्या है। इसके बाद अगर आपको लगे कॉम्पीटीटर बेहतर है तो थोड़ा अपने प्रोडक्ट की कीमतों को कम कर दीजिए। लोगों की जरूरत वाले प्रोडक्ट मार्केट में लाइए और अपनी मार्केटिंग को बेहतर बनाइए।

2. बार्गेनिंग पावर ऑफ सप्लायर (Bargaining Power of Supplier)

इस दूसरे नियम के हिसाब से आपको ये देखना होता है कि आपके सप्लायर अपनी इनपुट कॉस्ट को कितना बढ़ा सकते हैं। आपको ये देखना बहुत जरूरी है कि कौन से सप्लायर के साथ काम करना आपके लिए फायदे का सौदा है। अगर मार्केट में आपके सप्लायर कम है और आपका प्रोडक्ट बेहतर है तो उनकी डिमांड ज्यादा होगी, लेकिन मार्केट में आपके कहां कितने सप्लायर होंगे इस बात पर भी आपका पूरा कंट्रोल होना चाहिए।

3. बार्गेनिंग पावर ऑफ बायर्स (Bargaining Power of Buyers)

इसके तहत आप इस बात को समझते हैं कि आपके कस्टमर की पावर क्या है, आपके कस्टमर के लिए आपके प्रोडक्ट को छोड़कर दूसरे प्रोडक्ट को अपनाना कितना आसान है, वो आपके प्रोडक्ट की क्वालिटी और कीमतों को कितना कंट्रोल कर सकते हैं।अगर आपके कस्टमर कम हैं तो ब्रांड की कमान कस्टमर के हाथ में होती है लेकिन अगर आपके कस्टमर ज्यादा हैं तो कमान आपके हाथ में होती है।

4. बैरियर टू एंट्री (Barrier to Entry)

इसके हिसाब से आप ये तय करते हैं कि एक नए ब्रांड का आपके मार्केट में घुसना कितना आसान और कितना मुश्किल है। जितनी आसानी से वो आपकी मार्केट में अपनी जगह बना लेंगे आपकी शेयर वैल्यू उतनी ही कम हो जाएगी। ऐसे में आपके ब्रांड की स्ट्रॉन्ग मार्केट वैल्यू नए ब्रांड के एंट्री बैरियर बनती है क्योंकि अगर लोग आपके प्रोडक्ट की क्वालिटी और ब्रांड के भरोसे दोनों को पसंद करते हैं तो वो किसी दूसरे ब्रांड को नहीं अपनाएंगे।

5. थ्रेट ऑफ सब्सिट्यूट (Threat of Substitute)

इसमें इस बात को स्टडी किया जाता है कि आपके कस्टमर कितनी जल्दी आपके कॉम्पीटीटर का प्रोडक्ट इस्तेमाल करने के लिए तैयार हो जाता है। वो क्या वजह है जिसके कारण वो ऐसा कर रहे हैं। इसमें आप प्रोडक्ट की क्वालिटी और कीमत जैसी चीजों की तुलना करते हैं। ये वो पांच तरीके हैं जिनके जरिए आप अपने कॉम्पीटीटर से आगे निकल सकते है ।

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