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जानिए “इनकम टैक्स ऑडिट” आपके बिजनेस के लिए जरूरी क्यों है?

हमारे देश में सबसे ज्यादा अपराधी इनकम टैक्स लॉ की वजह से सामने आते है, ऐसा होने का सिर्फ एक ही कारण होता है टैक्स चोरी करना या फिर सही समय पर टैक्स ना देना। लोग ऐसा ना करें इसीलिए सरकार बिजनेस पर तरह तरह के ऑडिट करवाती है। इन्हीं में से एक “इनकम टैक्स ऑडिट” भी होती है, ये क्या है और इसे करवाना क्यों जरूरी है चलिए जानते हैं। 

क्या होता है इनकम टैक्स ऑडिट?

इनकम टैक्स ऑडिट को ऑफिशियली टैक्स ऑडिट कहा जाता है, इस ऑडिट में ऑडिटर आपकी कंपनी की अकाउंट बुक्स को रिव्यू करता है, आपके इनकम टैक्स की सारी कैलकुलेशन भी करता है। लेकिन ये टैक्स ऑडिट करने की आखिर जरूरत क्या होती है ये भी समझ लेते हैं।

इनकम टैक्स ऑडिट को इसीलिए किया जाता है ताकि कंपनी सालभर अपनी अकाउंट बुक्स को सही तरह से मैनेज करे ताकि आखिर में ऑडिटर को टैक्स लाइबिलिटी कैलकुलेट करने में परेशानी ना हो। इस ऑडिट के दौरान अगर ऑडिटर आपकी अकाउंट बुक्स में कुछ गड़बड़ पकड़ता है तो उसका काम होता है कि उसके बारे में वो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को बताए। एक ऑडिटर की बनाई की रिपोर्ट ही इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की नजर में आपकी कंपनी के प्रति अच्छी या खराब छवि तय करती है। 

इनकम टैक्स ऑडिट करवाने की जरूरत किसे पड़ती है?इनकम टैक्स लॉ के हिसाब से अगर आपकी सालभर की सेल्स, टर्नओवर या फिर ग्रॉस रिसिप्ट्स एक करोड़ से ज्यादा है तो आपको हर हाल में टैक्स ऑडिट करवानी ही होगी। ऑडिट के बाद ऑडिटर जो रिपोर्ट इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को देता है तो तीन हिस्सों में बंटी हुई होती है। 

1. फॉर्म 3CA – ये फॉर्म तब सबमिट किया जाता है जब आपको इनकम टैक्स के अलावा किसी और लॉ का ऑडिट भी करवाने की जरूरत पड़ती है। जैसे स्टैट्यूटरी ऑडिट या फिर जीएसटी ऑडिट। 

2.  फॉर्म 3CB – ये फॉर्म सिर्फ तब सबमिट किया जाता है जब आपके बिजनेस जब इनकम टैक्स ऑडिट की जरूरत होती है।

3. फॉर्म 3CD – लेकिन फॉर्म 3CD किसी भी ऑडिट रिपोर्ट का कंपलसरी हिस्सा होता है, इसके बिना ऑडिट रिपोर्ट सबमिट नही की जा सकती। 

टैक्स ऑडिट रिपोर्ट को कब और कैसे सबमिट किया जाता है?

इनकम टैक्स रिपोर्ट को सबमिट करने की जिम्मेदारी आपके कंपनी के चार्टर्ड अकाउंटेंट की होती है, वही अपने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पोर्टल पर बने अकाउंट से आपकी रिपोर्ट को सबमिट करता है। जिसके बाद बिजनेसमैन को अपने अकाउंट से लॉगिन करके उस रिपोर्ट को एक्सेप्ट या फिर रिजेक्ट करना होता है। 

टैक्स ऑडिट रिपोर्ट को जमा करने की तारीख 30 सितंबर तय की हुई है, इस तारीख से पहले पहले हर साल कंपनी को अपनी टैक्स ऑडिट रिपोर्ट जमा करवानी होती है। लेकिन अगर आप इस तय तारीख तक इस रिपोर्ट को जमा नहीं करवाते हैं तो फिर आपको एक भारी पेनल्टी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को देनी पड़ती है।

ये पेनल्टी दो लिमिट्स में बांटी गई है, पहली है आपके टर्नओवर का 0.5% हिस्सा और दूसरी है 1.5 लाख। इन दोनों में से जो भी अमाउंट कम होता है आपको वो अमाउंट पेनल्टी के तौर पर देना पड़ता है। जैसे अगर आपके बिजनेस का टर्नओवर पांच करोड़ है तो उसका 0.5 परसेंट 2.5 लाख होगा, तो ऐसे में दूसरी लिमिट के हिसाब से 1.5 लाख का अमाउंट कम है तो वही पेनल्टी के तौर पर जमा करना होगा।

तो अब आप समझ गए होंगे कि टैक्स ऑडिट क्या होता है, वो किस तरह से काम करता है और समय पर टैक्स ऑडिट रिपोर्ट को जमा करना क्यों जरूरी होता है। 

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