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जानिए आपके बिजनेस पर कौन सा ऑडिट सिस्टम होगा अप्लाई?

जब भी एक बिजनेसमैन कोई बिजनेस शुरू करता है तो अपनेआप ही कई सारे सरकारी नियम और कानून उसके बिजनेस पर लागू हो जाते हैं। आपका बिजनेस गैर कानूनी तो  नहीं है, वो पर्यावरण के लिए सही है या नहीं, और आप अपने टैक्स टाइम पर देते हैं या नहीं, इन सभी चीजों पर सरकार कई तरीकों से अपनी नजर बनाकर रखती है। 

इन्हीं में से एक तरीका है बिजनेस ऑडिट, सरकार आपके बिजनेस की ग्रोथ और काम करने के तरीके को जानने के लिए हर साल कंपनी से उसकी ऑडिट रिपोर्ट मांगती है। लेकिन अलग अलग बिजनेस के लिए अलग अलग तरह की ऑडिट की जाती है। अब ऑडिट कितने तरह की होती है और आपके बिजनेस पर कौन सा ऑडिट सिस्टम लागू होगा चलिए जानते हैं। 

इनकम टैक्स ऑडिट (Income Tax Audit) 

ज्यादातर बिजनेस में इनकम टैक्स ऑडिट ही अप्लाई होता है। अगर आपकी कंपनी का सालाना टर्नओवर एक करोड़ से ज्यादा है तो ये ऑडिट आपकी कंपनी का अप्लाई होगा। इसके अलावा अगर किसी प्रोफेशनल जॉब से आने वाली आपकी कमाई पचास लाख से ज्यादा है तो भी इनकम टैक्स ऑडिट आप पर अप्लाई होगी। अगर कोई अपनी इनकम को सेक्शन 44AD के तहत दिखाता है तो उसे एक चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) को हायर करके ऑडिट करवाना होगा। 

जीएसटी ऑडिट (GST Audit)

जीएसटी यानि कि “गुड्स एंड सर्विस टैक्स” ऑडिट भी ज्यादातर बिजनेस पर लागू होता है। अगर किसी कंपनी का सालाना टर्नओवर दो करोड़ से ज्यादा होता है तो उन्हें जीएसटी ऑडिट करवाना ज़रूरी होता है। जीएसटी ऑडिट रिपोर्ट को हर साल 31 दिसंबर से पहले सरकार को सबमिट करनी होती है। जो भी लोग सही टाइम पर इस रिपोर्ट को सबमिट नही करवाते हैं उन्हें भारी जुर्माना भरना पड़ता है। 

स्टैट्यूटरी ऑडिट (Statutory Audit)

स्टैट्यूटरी ऑडिट आपके बिजनेस पर तब लागू होती है जब आप किसी “लिमिटेड लाइबिलिटी पार्टनरशिप”(LLP) कंपनी के तौर पर काम कर रहे होते हैं, और आपकी कंपनी का सालाना टर्नओवर चालीस लाख से ज्यादा होता है। लेकिन अगर आप किसी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी या फिर पब्लिक लिमिटेड कंपनी के तौर पर काम करते हैं तो आपका टर्नओवर चाहे जितना भी हो आपको उसका स्टैट्यूटरी ऑडिट करवाना ही पड़ेगा। 

इंटरनल ऑडिट (Internal Audit)

बात अगर इंटरनल ऑडिट की करें तो अगर आप एक लिस्टेड कंपनी के की तरह काम करते है तो आपको इंटरनल ऑडिट करवाना हो होगा। इसके अलावा अगर एक पब्लिक कंपनी है लेकिन अनलिस्टेड हैं तो भी आपको इंटरनल ऑडिट करवाना होगा, लेकिन तब जब आपका सालभर का टर्नओवर 200 करोड़ से ज्यादा है। लेकिन अगर आप एक प्राइवेट अनलिस्टेड कंपनी की तरह काम करते हैं और आपका टर्नओवर 200 करोड़ है तो भी आपको इंटरनल ऑडिट करवाना ज़रूरी होगा। 

स्टॉक ऑडिट (Stock Audit)

स्टॉक ऑडिट को साल में एक बार करवाना ज़रूरी होता है, इसमें ऑडिटर आपकी कंपनी की इन्वेंटरी और असेट्स को खुद जाकर चेक करता है। इस चेकिंग के बाद वो इस बात को कन्फर्म करता है कि कंपनी ने अपने डेटा में जितनी भी चीज़ों को लिखा है वो असल में मौजूद है या नहीं। अगर कंपनी की बुक्स और इन्वेटरी के असेट्स में कोई गड़बड़ सामने आती है तो ऑडिटर उसे अपनी रिपोर्ट में लिख देता है। 

तो ये हैं वो पांच तरह के ऑडिट सिस्टम जो कंपनीज को अपने बिजनेस के हिसाब से हर साल करवाने जरूरी होते हैं। 

 

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